*International Gita Mahotsav Kurukshetra 07-23 Dec.
Gita Quiz में आज का प्रश्न है
महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने पांचो पांडवों को मारने के लिये पांच सोने के तीर बनाये श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने किस से ये तीर मांग लिये थे ?*
प्रश्न से संबधित जानकारी पढें और दिये गये लिंक पर click करें और जवाब दें
महाभारत के युद्ध को धर्मयुद्ध के नाम से भी जाना जाता है. एक ऐसा धर्मयुद्ध जिसमें लक्ष्य केवल राज्य जीतना नहीं बल्कि अपना अधिकार अपने ही प्रियजनों से वापस लेना भी था. साथ ही द्रौपदी के भरी सभा में हुए अपमान के लिए न्याययुद्ध बहुत जरूरी था. महाभारत के युद्ध को इतिहास के सबसे बड़े रक्तरंजित युद्ध में से एक माना जाता है. इस युद्ध में कौरव और पांडव आमने-सामने खड़े थे
जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और अपना रोष प्रकट करते हुए भीष्म से कहा आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं. ये सुनकर भीष्म पितामह को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मंत्र पढ़े. मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों का अंत कर देंगे. भीष्म की बात सुनकर भी दुर्योधन को भीष्म पितामह पर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस लौटा देगा.
जब श्रीकृष्ण को भीष्म के पांच तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को वो घटना याद दिलवाई, जिसमें अर्जुन ने दुर्योधन के प्राण एक गंधर्व से बचाए थे.
तब दुर्योधन ने कहा था कि ‘ तुम मुझसे बदले में कोई भी कीमती चीज मांग सकते हो’ श्रीकृष्ण की बात मानते हुए अर्जुन ने दुर्योधन के पास जाकर उसे अपना वचन दिलवाया. एक क्षत्रिय का वचन रखने के लिए दुर्योधन ने भीष्म के वो 5 सोने के तीर अर्जुन को दे दिए. इस तरह श्रीकृष्ण की युक्ति ने पांडवों के प्राण बचा लिये
http://internationalgitamahotsav.in/quiz
Gita Quiz में आज का प्रश्न है
महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने पांचो पांडवों को मारने के लिये पांच सोने के तीर बनाये श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने किस से ये तीर मांग लिये थे ?*
प्रश्न से संबधित जानकारी पढें और दिये गये लिंक पर click करें और जवाब दें
महाभारत के युद्ध को धर्मयुद्ध के नाम से भी जाना जाता है. एक ऐसा धर्मयुद्ध जिसमें लक्ष्य केवल राज्य जीतना नहीं बल्कि अपना अधिकार अपने ही प्रियजनों से वापस लेना भी था. साथ ही द्रौपदी के भरी सभा में हुए अपमान के लिए न्याययुद्ध बहुत जरूरी था. महाभारत के युद्ध को इतिहास के सबसे बड़े रक्तरंजित युद्ध में से एक माना जाता है. इस युद्ध में कौरव और पांडव आमने-सामने खड़े थे
जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और अपना रोष प्रकट करते हुए भीष्म से कहा आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं. ये सुनकर भीष्म पितामह को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मंत्र पढ़े. मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों का अंत कर देंगे. भीष्म की बात सुनकर भी दुर्योधन को भीष्म पितामह पर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिए और कहा कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस लौटा देगा.
जब श्रीकृष्ण को भीष्म के पांच तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को वो घटना याद दिलवाई, जिसमें अर्जुन ने दुर्योधन के प्राण एक गंधर्व से बचाए थे.
तब दुर्योधन ने कहा था कि ‘ तुम मुझसे बदले में कोई भी कीमती चीज मांग सकते हो’ श्रीकृष्ण की बात मानते हुए अर्जुन ने दुर्योधन के पास जाकर उसे अपना वचन दिलवाया. एक क्षत्रिय का वचन रखने के लिए दुर्योधन ने भीष्म के वो 5 सोने के तीर अर्जुन को दे दिए. इस तरह श्रीकृष्ण की युक्ति ने पांडवों के प्राण बचा लिये
http://internationalgitamahotsav.in/quiz
Duryodhan
ReplyDeleteDuryodhan
ReplyDelete