International Gita Mahotsav
Gita Quiz में आज का प्रश्न है
महाभारत युद्ध के पहले दिन गीता उपदेश मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल एकादशी को दिया गया था। श्री कृष्ण ने गीता के किस अध्याय में इसी मार्गशीर्ष महीने को अपने से सम्बंधित बताया है।
प्रश्न से संबधित जानकारी पढें और दिये गये लिंक पर click करें और जवाब दें
गीता के 10वें अध्याय में श्री कृष्ण के आलौकिक ऐश्वर्य को दिखाया गया है
दसवें अध्याय का 35 वां श्लोक है
*बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् |
मासानां मार्गशीर्षोSहमृतूनां कुसुमाकरः || 35 ||*
मैं सामवेद के गीतों में बृहत्साम हूँ और छन्दों में गायत्री हूँ |
समस्त महीनों में मैं मार्गशीर्ष (अगहन) तथा समस्त ऋतुओं में फूल खिलने वाली बसंत ऋतु हूँ |
जैसा कि भगवान् कृष्ण स्वयं बता चुके हैं, वे समस्त वेदों में सामवेद हैं | सामवेद विभिन्न देवताओं द्वारा गाये जाने वाले गीतों का संग्रह है | इन गीतों में से एक बृहत्साम है जिसको ध्वनि सुमधुर है और जो अर्धरात्रि में गाया जाता है |
संस्कृत के काव्य के निश्चित विधान हैं | इसमें लय तथा ताल बहुत ही आधुनिक कविता की तरह मनमाने नहीं होते | ऐसे नियमित काव्य में गायत्री मन्त्र, सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है | गायत्री मन्त्र का उल्लेख श्रीमद्भभगवत गीता में भी हुआ है |
मासों में अगहन (मार्गशीर्ष) मास सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि भरत में इस मास में खेतों से अन्न एकत्र किया जाता है और लोग अत्यन्त प्रसन्न रहते हैं | निस्सन्देह बसन्त ऐसी ऋतु है जिसका विश्र्वभर में सम्मान होता है क्योंकि यह न तो बहुत गर्म रहती है, न सर्द और इसमें वृक्षों में फूल आते है | बसन्त में कृष्ण की लीलाओं से सम्बन्धित अनेक उत्सव भी मनाये जाते हैं, अतः इसे समस्त ऋतुओं में से सर्वाधिक उल्लासपूर्ण माना जाता है और यह भगवान् कृष्ण की प्रतिनिधि है |
http://internationalgitamahotsav.in/quiz
Gita Quiz में आज का प्रश्न है
महाभारत युद्ध के पहले दिन गीता उपदेश मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल एकादशी को दिया गया था। श्री कृष्ण ने गीता के किस अध्याय में इसी मार्गशीर्ष महीने को अपने से सम्बंधित बताया है।
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गीता के 10वें अध्याय में श्री कृष्ण के आलौकिक ऐश्वर्य को दिखाया गया है
दसवें अध्याय का 35 वां श्लोक है
*बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् |
मासानां मार्गशीर्षोSहमृतूनां कुसुमाकरः || 35 ||*
मैं सामवेद के गीतों में बृहत्साम हूँ और छन्दों में गायत्री हूँ |
समस्त महीनों में मैं मार्गशीर्ष (अगहन) तथा समस्त ऋतुओं में फूल खिलने वाली बसंत ऋतु हूँ |
जैसा कि भगवान् कृष्ण स्वयं बता चुके हैं, वे समस्त वेदों में सामवेद हैं | सामवेद विभिन्न देवताओं द्वारा गाये जाने वाले गीतों का संग्रह है | इन गीतों में से एक बृहत्साम है जिसको ध्वनि सुमधुर है और जो अर्धरात्रि में गाया जाता है |
संस्कृत के काव्य के निश्चित विधान हैं | इसमें लय तथा ताल बहुत ही आधुनिक कविता की तरह मनमाने नहीं होते | ऐसे नियमित काव्य में गायत्री मन्त्र, सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है | गायत्री मन्त्र का उल्लेख श्रीमद्भभगवत गीता में भी हुआ है |
मासों में अगहन (मार्गशीर्ष) मास सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि भरत में इस मास में खेतों से अन्न एकत्र किया जाता है और लोग अत्यन्त प्रसन्न रहते हैं | निस्सन्देह बसन्त ऐसी ऋतु है जिसका विश्र्वभर में सम्मान होता है क्योंकि यह न तो बहुत गर्म रहती है, न सर्द और इसमें वृक्षों में फूल आते है | बसन्त में कृष्ण की लीलाओं से सम्बन्धित अनेक उत्सव भी मनाये जाते हैं, अतः इसे समस्त ऋतुओं में से सर्वाधिक उल्लासपूर्ण माना जाता है और यह भगवान् कृष्ण की प्रतिनिधि है |
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अध्याय 10
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