Friday 30 November 2018
Gita Quiz Dated: 30 November 2018
International Gita Mahotsav
Gita Quiz Dated: 30 November 2018
18 दिन तक चलने वाला महाभारत युद्ध श्री कृष्ण के गीता उपदेश से कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर से शुरू हुआ। उस जगह का नाम बताए जहां ये युद्ध समाप्त हुआ?
Gita Quiz Dated: 30 November 2018
18 दिन तक चलने वाला महाभारत युद्ध श्री कृष्ण के गीता उपदेश से कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर से शुरू हुआ। उस जगह का नाम बताए जहां ये युद्ध समाप्त हुआ?
प्रश्न से जुडी जानकारी पढें |
महाभारत युद्ध में एक तरफ पांडव थे तो दूसरी तरफ कौरव थे जहाँ पांडव पक्ष के प्रमुख युधिष्ठिर थे तो कौरव पक्ष के प्रमुख दुर्योधन थे युद्ध का नियम होता था के अगर युद्ध की अगुवाई करने वाले राजा या सेनापति को बंदी बना लिया जाए या लड़ते हुए उसकी मौत हो जाए तो विपक्ष को जीता हुआ मान लिया जाता था
18 दिन तक चलने वाला महाभारत युद्ध श्री कृष्ण के गीता उपदेश से कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर से शुरू हुआ
श्री कृष्ण ने युद्ध शुरू करने से पहले अर्जुन से कहा था की इन योद्धाओं को गौर से देख लो ये इस युग के सबसे महान और परक्रमी योद्धा हैं जो इस युद्ध के बाद शायद ही देखने को मिले और आने वाले युगों में ऐसे योद्धा फिर जन्म भी नहीं लेंगे भगवान श्री कृष्ण की इस बात से महाभारत के महायुद्ध की भयानकता का अंदाजा लगा सकते हैं
युद्ध के 18वें दिन भीम दुर्योधन के बचे हुए सभी भाइयों को मार देता है। सहदेव शकुनि को मार देता है। अपनी पराजय मानकर दुर्योधन एक तालाब मे छिप जाता है, लेकिन पांडवों द्वारा ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। तब भीम दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, इससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। इस तरह पांडव विजयी होते हैं। और महाभारत युद्ध समाप्त हो जाता है जिस तालाब में दुर्योद्धन छिपा था वह तालाब एकहंस तालाब था वर्तमान में यह तालाब जींद से 5 किमी की दूरी पर जींद-हिसार मार्ग पर गांव ईक्कस में है।
महाभारत युद्ध में एक तरफ पांडव थे तो दूसरी तरफ कौरव थे जहाँ पांडव पक्ष के प्रमुख युधिष्ठिर थे तो कौरव पक्ष के प्रमुख दुर्योधन थे युद्ध का नियम होता था के अगर युद्ध की अगुवाई करने वाले राजा या सेनापति को बंदी बना लिया जाए या लड़ते हुए उसकी मौत हो जाए तो विपक्ष को जीता हुआ मान लिया जाता था
18 दिन तक चलने वाला महाभारत युद्ध श्री कृष्ण के गीता उपदेश से कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर से शुरू हुआ
श्री कृष्ण ने युद्ध शुरू करने से पहले अर्जुन से कहा था की इन योद्धाओं को गौर से देख लो ये इस युग के सबसे महान और परक्रमी योद्धा हैं जो इस युद्ध के बाद शायद ही देखने को मिले और आने वाले युगों में ऐसे योद्धा फिर जन्म भी नहीं लेंगे भगवान श्री कृष्ण की इस बात से महाभारत के महायुद्ध की भयानकता का अंदाजा लगा सकते हैं
युद्ध के 18वें दिन भीम दुर्योधन के बचे हुए सभी भाइयों को मार देता है। सहदेव शकुनि को मार देता है। अपनी पराजय मानकर दुर्योधन एक तालाब मे छिप जाता है, लेकिन पांडवों द्वारा ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। तब भीम दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, इससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। इस तरह पांडव विजयी होते हैं। और महाभारत युद्ध समाप्त हो जाता है जिस तालाब में दुर्योद्धन छिपा था वह तालाब एकहंस तालाब था वर्तमान में यह तालाब जींद से 5 किमी की दूरी पर जींद-हिसार मार्ग पर गांव ईक्कस में है।
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Wednesday 28 November 2018
श्रीभगवत गीता का श्लोक
You have a right to “Karma” (actions) but never to any Fruits thereof. You should never be motivated by the results of your actions, nor should there be any attachment in not doing your prescribed activities.
तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फल में नहीं ।
इसलिए तू कर्म फल में हेतु रखने वाला मत हो,
तथा तेरी अकर्म में (कर्म न करने में) भी आसक्ति न हो ।
इसलिए तू कर्म फल में हेतु रखने वाला मत हो,
तथा तेरी अकर्म में (कर्म न करने में) भी आसक्ति न हो ।
Gita Mahotsav Gita Quiz Date 28.11.2018
International Gita Mahotsav Gita Quiz Date 28.11.2018
में पूछा गया प्रश्न
अर्जुन के अलावा श्री कृष्ण का गीता उपदेश किस किस ने सुना था ?
पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान , महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक शामिल थे। आपको बताते चलें बर्बरीक घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र तथा भीम के पोते थे। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था उस दौरान उन्हें भगवान श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कौरवों और पाण्डवों के इस भयंकर युद्ध को देख सकते हैं।
जब गीता का उपदेश चल रहा उस दौरान पवन पुत्र हनुमान अर्जुन के रथ पर बैठे थे जबकि संजय , धृतराष्ट्र से गीता आख्यान कर रहे थे। धृतराष्ट्र ने पूरी गीता संजय के मुख से सुनी वह वही थी जो कृष्ण उस समय अर्जुन से कह रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की मंशा थी कि धृतराष्ट्र को भी अपने कर्त्तव्य का ज्ञान हो और एक राजा के रूप में वो भारत को आने वाले विनाश से बचा लें। यही नहीं यही वह चार व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को विश्वरूप के रूप में देखा।
दसवें अध्याय के सातवें श्लोक तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूति, योगशक्ति तथा उसे जानने के माहात्म्य का संक्षेप में वर्णन किया है। फिर ग्यारहवें श्लोक तक भक्तियोग तथा उसका फल बताया। अर्जुन ने भगवान की स्तुति करके दिव्य विभूतियों तथा योगशक्ति का विस्तृत वर्णन करने के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना की। अपनी दिव्य विभूतियों के बारे में बताने के बाद आखिर में श्री कृष्ण ने योगशक्ति का प्रभाव बताया और समस्त ब्रह्मांड को अपने एक अंश से धारण किया हुआ बताकर अध्याय समाप्त किया। यह सुनकर अर्जुन के मन में उस महान स्वरूप को प्रत्यक्ष देखने की इच्छा हुई. तब ग्यारहवें अध्याय के आरम्भ में भगवान श्री कृष्ण ने विश्वरूप के दर्शन के रूप में अपने को प्रत्यक्ष किया। इसी विराट स्वरूप में समस्त ब्रह्मांड को समाहित देख अर्जुन मोह मुक्त हुए तथा युद्ध के विरक्ति भाव से मुक्त होकर महाभारत युद्ध का निष्ठापूर्वक संचालन कर कौरवों पर विजय प्राप्त की।
में पूछा गया प्रश्न
अर्जुन के अलावा श्री कृष्ण का गीता उपदेश किस किस ने सुना था ?
पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान , महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक शामिल थे। आपको बताते चलें बर्बरीक घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र तथा भीम के पोते थे। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था उस दौरान उन्हें भगवान श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कौरवों और पाण्डवों के इस भयंकर युद्ध को देख सकते हैं।
जब गीता का उपदेश चल रहा उस दौरान पवन पुत्र हनुमान अर्जुन के रथ पर बैठे थे जबकि संजय , धृतराष्ट्र से गीता आख्यान कर रहे थे। धृतराष्ट्र ने पूरी गीता संजय के मुख से सुनी वह वही थी जो कृष्ण उस समय अर्जुन से कह रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की मंशा थी कि धृतराष्ट्र को भी अपने कर्त्तव्य का ज्ञान हो और एक राजा के रूप में वो भारत को आने वाले विनाश से बचा लें। यही नहीं यही वह चार व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को विश्वरूप के रूप में देखा।
दसवें अध्याय के सातवें श्लोक तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूति, योगशक्ति तथा उसे जानने के माहात्म्य का संक्षेप में वर्णन किया है। फिर ग्यारहवें श्लोक तक भक्तियोग तथा उसका फल बताया। अर्जुन ने भगवान की स्तुति करके दिव्य विभूतियों तथा योगशक्ति का विस्तृत वर्णन करने के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना की। अपनी दिव्य विभूतियों के बारे में बताने के बाद आखिर में श्री कृष्ण ने योगशक्ति का प्रभाव बताया और समस्त ब्रह्मांड को अपने एक अंश से धारण किया हुआ बताकर अध्याय समाप्त किया। यह सुनकर अर्जुन के मन में उस महान स्वरूप को प्रत्यक्ष देखने की इच्छा हुई. तब ग्यारहवें अध्याय के आरम्भ में भगवान श्री कृष्ण ने विश्वरूप के दर्शन के रूप में अपने को प्रत्यक्ष किया। इसी विराट स्वरूप में समस्त ब्रह्मांड को समाहित देख अर्जुन मोह मुक्त हुए तथा युद्ध के विरक्ति भाव से मुक्त होकर महाभारत युद्ध का निष्ठापूर्वक संचालन कर कौरवों पर विजय प्राप्त की।
Tuesday 27 November 2018
अर्जुन के अलावा श्री कृष्ण का गीता उपदेश किस किस ने सुना था ?
International Gita Mahotsav Gita Quiz
में पूछा गया प्रश्न
अर्जुन के अलावा श्री कृष्ण का गीता उपदेश किस किस ने सुना था ?
पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान , महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक शामिल थे। आपको बताते चलें बर्बरीक घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र तथा भीम के पोते थे। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था उस दौरान उन्हें भगवान श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कौरवों और पाण्डवों के इस भयंकर युद्ध को देख सकते हैं।
जब गीता का उपदेश चल रहा उस दौरान पवन पुत्र हनुमान अर्जुन के रथ पर बैठे थे जबकि संजय , धृतराष्ट्र से गीता आख्यान कर रहे थे। धृतराष्ट्र ने पूरी गीता संजय के मुख से सुनी वह वही थी जो कृष्ण उस समय अर्जुन से कह रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की मंशा थी कि धृतराष्ट्र को भी अपने कर्त्तव्य का ज्ञान हो और एक राजा के रूप में वो भारत को आने वाले विनाश से बचा लें। यही नहीं यही वह चार व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को विश्वरूप के रूप में देखा।
दसवें अध्याय के सातवें श्लोक तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूति, योगशक्ति तथा उसे जानने के माहात्म्य का संक्षेप में वर्णन किया है। फिर ग्यारहवें श्लोक तक भक्तियोग तथा उसका फल बताया। अर्जुन ने भगवान की स्तुति करके दिव्य विभूतियों तथा योगशक्ति का विस्तृत वर्णन करने के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना की। अपनी दिव्य विभूतियों के बारे में बताने के बाद आखिर में श्री कृष्ण ने योगशक्ति का प्रभाव बताया और समस्त ब्रह्मांड को अपने एक अंश से धारण किया हुआ बताकर अध्याय समाप्त किया। यह सुनकर अर्जुन के मन में उस महान स्वरूप को प्रत्यक्ष देखने की इच्छा हुई. तब ग्यारहवें अध्याय के आरम्भ में भगवान श्री कृष्ण ने विश्वरूप के दर्शन के रूप में अपने को प्रत्यक्ष किया। इसी विराट स्वरूप में समस्त ब्रह्मांड को समाहित देख अर्जुन मोह मुक्त हुए तथा युद्ध के विरक्ति भाव से मुक्त होकर महाभारत युद्ध का निष्ठापूर्वक संचालन कर कौरवों पर विजय प्राप्त की।
https://internationalgitamahotsav.in/
में पूछा गया प्रश्न
अर्जुन के अलावा श्री कृष्ण का गीता उपदेश किस किस ने सुना था ?
पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान , महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक शामिल थे। आपको बताते चलें बर्बरीक घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र तथा भीम के पोते थे। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था उस दौरान उन्हें भगवान श्री कृष्ण से वरदान प्राप्त था कि कौरवों और पाण्डवों के इस भयंकर युद्ध को देख सकते हैं।
जब गीता का उपदेश चल रहा उस दौरान पवन पुत्र हनुमान अर्जुन के रथ पर बैठे थे जबकि संजय , धृतराष्ट्र से गीता आख्यान कर रहे थे। धृतराष्ट्र ने पूरी गीता संजय के मुख से सुनी वह वही थी जो कृष्ण उस समय अर्जुन से कह रहे थे। भगवान श्रीकृष्ण की मंशा थी कि धृतराष्ट्र को भी अपने कर्त्तव्य का ज्ञान हो और एक राजा के रूप में वो भारत को आने वाले विनाश से बचा लें। यही नहीं यही वह चार व्यक्ति थे जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को विश्वरूप के रूप में देखा।
दसवें अध्याय के सातवें श्लोक तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी विभूति, योगशक्ति तथा उसे जानने के माहात्म्य का संक्षेप में वर्णन किया है। फिर ग्यारहवें श्लोक तक भक्तियोग तथा उसका फल बताया। अर्जुन ने भगवान की स्तुति करके दिव्य विभूतियों तथा योगशक्ति का विस्तृत वर्णन करने के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना की। अपनी दिव्य विभूतियों के बारे में बताने के बाद आखिर में श्री कृष्ण ने योगशक्ति का प्रभाव बताया और समस्त ब्रह्मांड को अपने एक अंश से धारण किया हुआ बताकर अध्याय समाप्त किया। यह सुनकर अर्जुन के मन में उस महान स्वरूप को प्रत्यक्ष देखने की इच्छा हुई. तब ग्यारहवें अध्याय के आरम्भ में भगवान श्री कृष्ण ने विश्वरूप के दर्शन के रूप में अपने को प्रत्यक्ष किया। इसी विराट स्वरूप में समस्त ब्रह्मांड को समाहित देख अर्जुन मोह मुक्त हुए तथा युद्ध के विरक्ति भाव से मुक्त होकर महाभारत युद्ध का निष्ठापूर्वक संचालन कर कौरवों पर विजय प्राप्त की।
https://internationalgitamahotsav.in/
Monday 26 November 2018
Gita Quiz Dated 27.11.2018
International Gita Mahotsav 2018 , Gita Quiz Dated : 27.11.2018, Partcipate with the following link and win prizes http://internationalgitamahotsav.in/quiz/
https://www.youtube.com/watch?v=GxscgUxvgog
https://www.youtube.com/watch?v=GxscgUxvgog
गीता प्रशनोत्तरी
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की विभिन्न प्रतियोगिताओं में से गीता प्रशनोत्तरी मे गीता पर आधारित प्रश्नों की प्रतियोगिता शुरू हो गई है आप लोग ज्यादा से ज्यादा जवाब भेजकर इस प्रतियोगिता में हिस्सा लें वेबसाइट पर जायें और गीता पर प्रशनोत्तरी पर क्लिक करें मोबाइल और OTP से लॉगिन करें पूरी प्रतियोगिता में एक ही OTP रहेगा इसलिये हर बार OTP लेने की आवश्यकता नही है
दैनिक विजेता को 500/- रुपये का पुरस्कार दिया जायेगा
सबसे अंत में तीन विजेता घोषित होंगे
पहले को 11000 रुपये का पुरस्कार
दूसरे को : 5100/- रुपये का पुरस्कार
तीसरे स्थान पर रहे विजेता को 2100/- रुपये का पुरस्कार
आज पूछा गया प्रश्न है ?
भगवदगीता में कई विद्याओं का वर्णन है, जिनमें चार प्रमुख हैं-
1. अभय विद्या: यह मृत्यु के भय को दूर करती है।
2. ईश्वर विद्या: इस के प्रभाव से साधक अहंकार और गर्व के विकार से बचता है।
3. ब्रह्म विद्या: यह अंतरात्मा में ब्रह्मा भाव को जगाता है।
चौथी विद्या कौन सी है ?
दैनिक विजेता को 500/- रुपये का पुरस्कार दिया जायेगा
सबसे अंत में तीन विजेता घोषित होंगे
पहले को 11000 रुपये का पुरस्कार
दूसरे को : 5100/- रुपये का पुरस्कार
तीसरे स्थान पर रहे विजेता को 2100/- रुपये का पुरस्कार
आज पूछा गया प्रश्न है ?
भगवदगीता में कई विद्याओं का वर्णन है, जिनमें चार प्रमुख हैं-
1. अभय विद्या: यह मृत्यु के भय को दूर करती है।
2. ईश्वर विद्या: इस के प्रभाव से साधक अहंकार और गर्व के विकार से बचता है।
3. ब्रह्म विद्या: यह अंतरात्मा में ब्रह्मा भाव को जगाता है।
चौथी विद्या कौन सी है ?
Sunday 25 November 2018
गीता प्रश्नोत्तरी
जीवन के द्वंद्वों से बाहर आने के लिए गीता प्रश्नोत्तरी का हिस्सा बनने, सुनने, देखने और अनुभव करने के लिए सविनय निमंत्रण।
http://internationalgitamahotsav.in/quiz/
http://internationalgitamahotsav.in/quiz/
*International Gita Mahotsav* कुरूक्षेत्र प्रशासन द्वारा इस बार इंटरनैशनल गीता महोत्सव *7 दिसम्बर से 23 दिसम्बर* तक ब्रहम सरोवर पर मनाया जायेगा हर बार की तरह इस बार भी गीता पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी हर प्रकार के अपडेट गीता जंयती की आधिकारिक वेबसाईट पर उपलब्ध है | गीता प्रश्नोत्तरी में हर रोज गीता से जुडा एक सवाल पूछा जायेगा जिसका जवाब इसी वेबसाईट पर देना है लक्की विनर को हर रोज नगद पुरस्कार मिलेगा
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की प्रदर्शनी का हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आज लाल किला मैदान दिल्ली में उद्धघाटन
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की प्रदर्शनी का हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आज लाल किला मैदान दिल्ली में उद्धघाटन किया गया | इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी श्री ज्ञानानंद जी महाराज , राज्यपाल हरियाणा के सचिव एवं सदस्य सचिव कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड श्री विजय सिंह दहिया, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2018 के नोडल अधिकारी श्री अमित कुमार अग्रवाल भी उपस्थित थे | अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की 2018 बारे एक प्रेस कांफ्रेंस भी आयोजित की गयी | माननीय मुख्यमंत्री दवारा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2018 के अवसर पर होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में अवगत करवाया गया |
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