Sunday, 15 December 2024

बीन का लहरा भी आकर्षित कर रहा है सरोवर की लहरों को

इस अद्भुत कला से सराबोर होकर अपने आप को समर्पित कर रहा है सरोवर, लोक कला का पर्यटकों के साथ-साथ ब्रह्मसरोवर की लहरें भी स्वागत करती आ रही है नजर
सिर पर पगड़ी हाथ में बीन और ढ़ोल की थाप के साथ जब ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर बीन का लहर बजता है तब सरोवर की लहरें भी अपने आप आकर्षित होती नजर आ रही है। इस अद्भुत कला के आगे सरोवर सराबोर होकर अपने आप को इस लहरा के आगे समर्पित कर रहा है।
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर के तट पर 28 नवंबर से 15 दिसंबर-2024 तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों से आए लोक लोक कलाकारों ने अपनी अदभुत लोक कला से महोत्सव में चार चांद लगाने का काम किया है। इन लोक कलाकारों की अदभुत अनोखी लोक धुन पर पर्यटकों के साथ-साथ ब्रह्मसरोवर की लहरें भी लहरा कर स्वागत करती नजर आ रही है। बीन बांसुरी, नगाड़े वादक, डेरू वादक और कच्ची घोडी, राजस्थानी लोक कला के साथ-साथ अन्य लोक कलाकारों ने महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को नाचने पर मजबूर किया है। इस महोत्सव में युवाओं के साथ-साथ बुर्जुग भी इन लोक कलाओं के आगे नतमस्तक होते नजर आ रहे है, महोत्सव में आने वाला प्रत्येक पर्यटक इन लोक कलाओं की धुनों पर नाचने को मजबूर हो रहा है तथा महोत्सव के रंगों को अपने आप में रंगने का काम कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के 17वें दिन ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर हजारों की संख्या में पर्यटकों ने इन लोक कलाकारों की लोक कला को बहुत ही ज्यादा सराहा है। ब्रह्मसरोवर के तट पर जहां भी पर्यटक इन लोक कलाकारों की धुन को सुनते है तब उनके पैर अपने आप थिरकने पर मजबूर हो जाते है। इन लोक कलाओं ने इस महोत्सव में एक अलग पहचान बनाने का काम किया है। एनजैडसीसी व प्रशासन की तरफ से आमंत्रित किए गए इन कलाकारों ने बखूबी अपना दायित्व निभाया है और अपनी लोक कला से सभी को मंत्रमुग्ध करने का काम किया है।

देश के पांच प्रमुख तीर्थ स्थलों पर हजारों श्रद्धालुओं ने ऑनलाईन प्रणाली से देखा अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव

पहली बार जन सम्पर्क विभाग के प्रयासों से तीर्थ स्थलों पर पहुंचा प्रचार रथ, प्रत्येक जगह जन सम्पर्क विभाग के अधिकारी के नेतृत्व में गठित की टीम, लाइव प्रसारण देखने के किए गए विशेष प्रबंध
 उपायुक्त नेहा सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहली बार देश के पांच प्रमुख स्थलों पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के कार्यक्रमों का लाईव प्रसारण करने के प्रबंध किए गए। इन सभी तीर्थ स्थलों पर महोत्सव के 5 दिसम्बर से 11 दिसंबर के कार्यक्रमों को ऑनलाइन प्रणाली से दिखाया गया। इसके लिए सूचना जनसम्पर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग ने महोत्सव को तीर्थ स्थलों पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं तक पहुंचाने का जिम्मा लिया। यह प्रयास सफल रहें और तीर्थ स्थलों पर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के इन प्रयासों की प्रशंसा की हैं।
उपायुक्त नेहा सिंह ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने देश ही नहंी पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाई हैं। इस महोत्सव के साथ हर श्रद्धालु जुड़ने के लिए उत्सुक रहता हैं। इस महोत्सव को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु प्रत्यक्ष रूप से कुरुक्षेत्र की धरा पर पहुंचते है और करोड़ों श्रद्धालु ऑनलाईन प्रणाली जिसमें वेबसाइट, टिव्टर, इंस्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि शामिल हैं, से जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं इस वर्ष सूचना जनसम्पर्क विभाग की तरफ से एक नई पहल करते हुए पांच प्रचार रथों को प्रथम को श्री जगन्नाथ मंदिर ओडिशा, श्री बांके बिहारी वृंदावन उत्तर प्रदेश, कृष्ण जन्मभूमि टेम्पल मथूरा, द्वारकाधीश टेम्पल गुजरात,टिकाना मंदिर श्री गोविन्द देव जी जयपुर राजस्थान तीर्थ स्थलों पर भेजा गया।
उन्होंने कहा कि इन प्रचार रथों पर बड़ी एलईडी के साथ-साथ इंटरनेट आदि की व्यवस्था की गई थी। इन सभी एलईडी पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के वैश्विक गीता पाठ रोजाना, ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग कुरुक्षेत्र की महाआरती, मुख्य मंच के सांस्कृतिक कार्यक्रम, ओडिशा पवेलियन, हरियाणा पवेलियन के सांस्कृतिक कार्यक्रम, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय गीता सेमिनार, 48 कोस तीर्थ सम्मेलन, अखिल भारतीय देव स्थानम सम्मेलन, दीपदान, दीपोत्सव आदि को दिखाया गया। इन कार्यक्रमों को तीर्थ स्थलों पर दिखाने के लिए ऑनलाईन लाईव ङ्क्षलक तैयार किया गया। इस लिंक के माध्यम से सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों के श्रद्धालुओं के महोत्सव के कार्यक्रमों का आनंद लिया।
महानिदेशक के आदेशानुसार देश के प्रमुख पांच तीर्थ स्थलों पर लगाई आईपीआरओ की डयूटी
सूचना, जन सम्पर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक केएम पांडुरंग के आदेशानुसार देश के प्रमुख पांच तीर्थ स्थलों पर पांच आईपीआरओ की डयूटी लगाई गई। इन सभी तीर्थों पर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तमाम कार्यक्रमों का लाइव टेलीकास्ट दिखाया गया । इन आदेशों के अनुसार नूह के एआईपीआरओ अशोक राठी की श्री जगन्नाथ टेम्पल ओडिशा, आईपीआरओ कुलदीप बांगड की श्री बांके बिहारी वृंदावन उत्तर प्रदेश व श्री कृष्ण जन्मभूमि टेम्पल मथूरा, आईपीआरओ कृष्ण कुमार आर्य की द्वरिकाधीश टेम्पल गुजरात, प्रेस कंस्लटेंन्ट निखील की श्री महाकालेश्वर टेम्पल उज्जैन मध्य प्रदेश व आईपीआरओ कृष्ण कुमार की टिकाना मंन्दिर श्री गोविन्द देव जी जयपुर राजस्थान में डयूटी लगाई गई।

Saturday, 14 December 2024

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शनिवार को उमड़ी भारी भीड़

कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 का शनिवार का दिन बेहद खास और उल्लासपूर्ण रहा। मेले में बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लिया, बल्कि गीता की पवित्रता का अनुभव भी किया।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में मेला: ऊंट की सवारी, झूले और कला प्रदर्शन बने आकर्षण का केंद्र

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में लोक नृत्यों का खूब आनंद लिया

कर्मभूमि पवित्र ग्रंथ गीता की धरती के दर्शन मात्र ही मानव कल्याण की खोलते है राह

ब्रह्मसरोवर की सांध्यकालीन आरती में केडीबी सीईओ, मानद सचिव, चेयरमैन, प्राधिकरण के सदस्यों ने की शिकरत, केडीबी की तरफ से सभी मेहमानों का अंगवस्त्र देकर किया गया सम्मानित
 केडीबी के सीईओ पंकज सेतिया, मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, कुरुक्षेत्र 48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा, केडीबी सदस्य विजय नरूला, कैप्टन परमजीत सिंह, डा. ऋषिपाल मथाना, एमके मोदगिल, अशोक रोशा, प्राधिकरण के सदस्य सौरभ चौधरी, पत्रकार एवं छायाकार साथियों के साथ-साथ केयूके के शिक्षकों ने ब्रह्मसरोवर पुरुषोत्तमपुरा बाग के आरती स्थल पर मंत्रौच्चारण के बीच सांयकालीन महा आरती करके पूजा पाठ किया। इससे पहले सभी मेहमानों ने शंख की ध्वनि के साथ ही महा आरती शुरू की और दीपशिखा प्रज्ज्वलित कर विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभारम्भ भी किया।
आरती स्थल पर सांध्यकालीन भजन संध्या का गुणगान करते हुए सभी ने एक स्वर में कहा कि गीता की इस पावन धरती पर आना और इस पवित्र ग्रंथ की महाआरती में शामिल होना बहुत बड़ा सौभाग्य है। इसके लिए वे प्रदेश सरकार व केडीबी प्रशासन का आभार प्रकट करते है। साथ ही मानव कल्याण के लिए महोत्सव के आयोजन की बधाई देते है। गीता की धरती का दर्शन मात्र ही मानव कल्याण की राह खोलता     है। गीता एक ऐसा ग्रंथ है, जो सम्पूर्ण विश्व और मानवता के लिए बहुत उपयोगी है। जीवन में किसी भी नकारात्मक स्थिति से उभरने में गीता हमारा मार्गदर्शन करती है। गीता एक धार्मिक ग्रंथ है, जिसका विश्व की सर्वाधिक भाषा में अनुवाद किया गया है। आज के दौर में नई पीढ़ी संस्कारों से दूर होती जा रही है। गीता के ज्ञान से नव पीढ़ी में संस्कार आएंगे और एक सभ्य समाज की स्थापना होगी।
सीईओ केडीबी पंकज सेतिया व मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कुरुक्षेत्र वासियों सहित समस्त प्रदेश तथा देशवासियों को इस महोत्सव के आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि गीता महोत्सव में लाखों की संख्या में लोग जुड़ रहे है। देश ही नहीं अपितु विदेशों     भी गीता का प्रचार-प्रसार बढ़ा है और विदेशों से भी लोग गीता महोत्सव में शामिल हो रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में ही गीता का संदेश दिया था। गीता जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरकार प्रयासरत है। गीता महोत्सव में इस दिशा में सफलतम प्रयास है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का जो संदेश दिया था जो मानव को जीने की कला सिखाता है। हमें गीता में    दिए ज्ञान व कर्म के संदेश के अनुसार ही जीवन यापन करना चाहिए। ऐसा करने पर हम हर क्षेत्र में कामयाब होंगे। इस दौरान सभी मेहमानों को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

Chhau Nritya: A Powerful Cultural Performance at the International Gita Mahotsav!

The Chhau Nritya (Chhau Dance), a vibrant and energetic folk dance form, captivated the audience at the International Gita Mahotsav 2024, showcasing the rich cultural heritage of India. Originating from the eastern states of Jharkhand, Bengal, and Odisha, this traditional dance combines martial arts, acrobatics, and folk dance to tell captivating stories of valor, mythology, and spirituality. 🏹✨

Performed with intense energy and grace, the dancers wore elaborate costumes and masks, each representing different characters from Hindu mythology, such as gods, demons, and warriors. The rhythmic beats of traditional instruments, including the dhol, shehnai, and nagada, created a hypnotic atmosphere that perfectly complemented the dancers’ powerful movements. 💫🎶

The Chhau Nritya performance at the Mahotsav beautifully captured the dance form’s deep spiritual and cultural roots, reflecting themes of bravery, devotion, and cosmic harmony. The vigorous footwork, dynamic leaps, and dramatic expressions brought to life the stories of triumph and divine power, leaving the audience mesmerized and deeply moved. 🌸💃

This stunning performance not only entertained but also highlighted the significance of preserving ancient Indian traditions and folklore, making it a memorable part of the International Gita Mahotsav.

Kashmiri Artists' Captivating Performance at the International Gita Mahotsav!

The Kashmiri artists’ mesmerizing performance at the International Gita Mahotsav 2024 was a beautiful tribute to the rich cultural heritage of Kashmir. Through traditional dance, music, and folk art, the artists transported the audience to the serene valleys of Kashmir, where art, spirituality, and nature intertwine in perfect harmony. 🌿🎶

The performance featured Kashmiri Rouf dance, known for its graceful movements and vibrant expressions, accompanied by soulful traditional music. The dancers, dressed in colorful Kashmiri attire, performed with elegance and poise, reflecting the region’s rich history, cultural beauty, and spiritual depth. The rhythms of the dhol, santoor, and shehnai blended perfectly with the graceful footwork, creating an atmosphere of pure magic and tranquility. ✨💫

Through this performance, the Kashmiri artists not only entertained but also introduced the audience to the unique traditions and folklore of Kashmir, celebrating its harmony with nature, spirituality, and art. It was a beautiful reminder of the timeless cultural heritage that transcends borders and connects us all through the universal language of art.

Rajasthani Nritya: A Stunning Cultural Showcase at the International Gita Mahotsav!

The vibrant and colorful Rajasthani Nritya (Rajasthani Dance) performance at the International Gita Mahotsav 2024 captured the essence of Rajasthan’s rich cultural heritage and left the audience spellbound. From the energetic footwork of the Ghoomar dance to the intricate movements of the Kalbeliya and Kathputli dances, every performance was a true celebration of Rajasthan’s folklore and traditions. 🌾🎶

Dancers adorned in dazzling traditional attire, including intricate jewelry and colorful skirts, showcased the mesmerizing beauty of Rajasthan’s folk dances. The rhythmic beats of the dholak and tabla, combined with graceful movements, filled the atmosphere with energy and enthusiasm. The dance forms, filled with vibrant expressions and joyful spins, brought to life the stories of Rajasthan’s royal history, rural life, and spiritual beliefs. 💫🌸

This powerful presentation not only entertained but also connected the audience with the soul of Rajasthan, highlighting the state’s deep cultural roots, artistic brilliance, and joyful spirit. The Rajasthani Nritya performance was a truly unforgettable experience at the Gita Mahotsav, showcasing the magic of India’s diverse traditions.

ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर बीन की लहर और ढ़ोल की थाप ने महोत्सव के रंगों में और भी जोश भर दिया है।

जब बीन का लहरा बजता है, तो सरोवर की लहरें भी आकर्षित होकर इस अद्भुत कला से समर्पित हो जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में आए लोक कलाकारों ने अपनी कला से महोत्सव में चार चांद लगाए हैं। बीन बांसुरी, नगाड़े, डेरू वादक, कच्ची घोड़ी जैसे लोक वाद्ययंत्रों की धुन पर पर्यटक थिरकते हुए इस सांस्कृतिक समागम का आनंद ले रहे हैं। 🌟

इन लोक कलाओं ने महोत्सव में एक नई पहचान बनाई है, और पर्यटकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। एनजैडसीसी और प्रशासन द्वारा आमंत्रित इन कलाकारों ने अपनी कला से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया है।